साईं बाबा के ग्यारह वचन
जो शिर्डी में आएगा, आपद दूर भगाएगा !
चढ़े समाधी की सीढ़ी पर, पैर तले दुःख की पीडी पर !!
त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौरा आऊंगा !
मन में रखना ढृढ़ विश्वास, करे समाधी पूरी आस !!
मुझे सदा जीवित ही जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो !
मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताये !!
जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मन का !
आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नहीं है दूर !!
भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन ना मेरा झूठा होगा !
मुझ में लीन वचन, मन, काया, उसका ऋण ना कभी चुकाया !!
धन्य धन्य वो भक्त अनन्य, मेरी शरण तीज जिसे ना अन्य !
जो शिर्डी में आएगा, आपद दूर भगाएगा !
चढ़े समाधी की सीढ़ी पर, पैर तले दुःख की पीडी पर !!
त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौरा आऊंगा !
मन में रखना ढृढ़ विश्वास, करे समाधी पूरी आस !!
मुझे सदा जीवित ही जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो !
मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताये !!
जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मन का !
आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नहीं है दूर !!
भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन ना मेरा झूठा होगा !
मुझ में लीन वचन, मन, काया, उसका ऋण ना कभी चुकाया !!
धन्य धन्य वो भक्त अनन्य, मेरी शरण तीज जिसे ना अन्य !